जय मातृभूमि
बैरी है इस राष्ट्र का जो
करता गड़बड़ झाला हैं ।
सीना चीरो आंख फोड़ दो
या फिर देश निकाला है ।
पापी निशाच हैं वो जो नित
बस दुश्मन के गुण गाते हैं ।
खाते पीते इस देश का जो
फिर आंख दिखा गुर्राते हैं ।
मातृभूमि सत्कार भूल कर
अच्छी लगती अब खाला है ।।
सीना चीरो आंख फोड़ दो
या फिर देश निकाला है ।
अपने ध्वज और संविधान का
मान नही रख सकता है ।
अपनी सेना की निष्ठा पर नित
बस प्रश्न खड़े करता है वो ।
ऐसे पापी नीच की भाषा
सबक सिखाना ही होगा।
जीभ काट उन गददारों की
शूली पे लटकाना ही होगा ।
भारत के वीरों की शक्ति का
फिर अहसास कराना है
सीना चीरो आँख फोड़ दो
या दे दो देश निकाला है ।
उत्तर दे दो फिर एक बार
जो छिप छिप करके आते है
बार बार फिर काश्मीर पर
हमको आँख दिखाते है ।
उत्तर देना होगा उनको जो
जयचन्द बनकर बिष घोल रहे
शिव भोले के काश्मीर पर
घृणित भाषा खुलबोल रहे
काश्मीर तो स्वर्ग राष्ट्र का
करता सब को विभौर है ।
मातृभूमि का अंग अभिन्न है
राष्ट्र का कहलाता सिरमौर है ।
देखा भी गर कश्मीर को तूने
तेरा ही अस्त्तित्व मिटा देगें ।
दुनिया के नक्शे से हम पूरा
अब पाकिस्तान मिटा देंगे ।
- हरप्रसाद पुष्पक
L.i.g 181/20 आवास विकास,
रूद्रपुर (ऊधम सिंह नगर)
उत्तराखण्ड
सम्पर्क सूत्र : 09927721977
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