गुरुवार, 29 जून 2017

हमारे महापुरुष - श्री जितेन्द्र कुमार जौली



पुस्तक परिचय


कृति :  हमारे महापुरुष (जीवनी-संग्रह)
सर्वाधिकार : लेखक
लेखक : श्री जितेन्द्र कुमार जौली
                अम्बेडकर नगर, गांगन का पुल, दिल्ली रोड, 
                पोस्ट लांकड़ी फाजलपुर,मुरादाबाद - 244001 (उ.प्र.)
                 मोबाइल : 09358854322
संस्करण : प्रथम  (1000 प्रतियाँ)
प्रकाशन वर्ष : 2017 ई.
पृष्ठ : 56
मूल्य : 30 रुपये
प्रकाशक :  अखिल भारतीय अम्बेडकर युवक संघ, 
                मुख्यालय :  सिविल लाइन्स, मुरादाबाद (उ.प्र.)
शब्द संयोजन :  मेहदी ग्राफिक्स,
                प्रिंस रोड, मुगलपुरा, मुरादाबाद  (उ.प्र.)


HAMARE MAHAPURUSH   BY JITENDRA KUMAR JOLLY



मंगलवार, 27 जून 2017

ओंकार सिंह ओंकार का गीत : मेघा आओ, जल बरसाओ 

मेघा आओ, जल बरसाओ 


मेघा आओ, जल बरसाओ
देखो और नहीं तरसाओ

दुखी हो रहे सब ही के मन
झुलस रहा हरियाली का तन
प्यासी धरती, प्यासा उपवन
आओ! सबकी प्यास बुझाओ।

नदी न अब संगीत सुनाती
लहर न अंगड़ाई ले पाती
घायल हुआ वदन तालों का
जल की औषधि इन्हें पिलाओ

जीव-जंतु सब ही व्याकुल हैं 
पानी पीने को आकुल हैं
सबकी दृष्टि गगन  को देखे
आकर अम्बर में छा जाओ।

फसलें खोने लगीं जवानी
जीवन नहीं कहीं बिन पानी 
धरती हरी-भरी करने को
कण-कण में अमृत भर जाओ।

करुणा मत छोड़ो करुणाकर 
शीतलता दे बनो सुधाकर
मिले ज़िन्दगी हर प्राणी को
मौसम की तुम तपन बुझाओ।

- ओंकार सिंह 'ओंकार '
1-बी- 241 बुद्धि विहार , मझोला
मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश)
सम्पर्क सूत्र: 9997505734

सोमवार, 26 जून 2017

चंदन है इस देश की माटी  - श्री फक्कड़ मुरादाबादी



पुस्तक परिचय


कृति : चंदन है इस देश की माटी (देशभक्ति गीत-संग्रह)
सर्वाधिकार : कवि
रचनाकार : श्री फक्कड़ मुरादाबादी
 रामगंगा विहार कालोनी, 1-2, बसेरा नगर सहकारी समिति, 
निकट विल्सोनिया डिग्री कालिज, मुरादाबाद - 244001 (उ.प्र.)
मोबाइल : 09410238638
संस्करण : प्रथम
प्रकाशन वर्ष : 2016
पृष्ठ : 16
मूल्य : देश प्रेम
प्रकाशक : सागर तरंग प्रकाशन,
डी-12, अवंतिका कालोनी, एम.डी.ए., मुरादाबाद (उ.प्र.)
मोबाइल : 9411809222


CHANDAN HAI IS DESH KI MATI BY FAKKAR MORADABADI


मंगलवार, 20 जून 2017

सूर्य नारायण शूर की ग़ज़ल

  है सूरज बादलों  में पर  तपन  महसूस होती है

चला थोड़ा ही हूँ फिर  भी थकन  महसूस  होती  है 
है सूरज बादलों  में पर  तपन  महसूस होती है

नहीं मालूम उसने क्या छिपा  रक्खा   है आँखो में 
मिली जब से ये नज़रे है चुभन  महसूस  होती है

यहाँ की अब मुझे आबो  हवा  अच्छी  नहीं लगती  
यहाँ से ले  चलो  मुझको घुटन  महसूस होती है

दिया जबसे  मुझे उसने सरे  बाज़ार  यूँ  धोखा  
कहीं भी देख कर उसको  जलन  महसूस होती है 

बहुत बौना बना  डाला  जहाँ ने  सोच को अपनी  
हकीकत  है जहाँ में अब उबन महसूस  होती है 


- सूर्य नारायण शूर
इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश 
सम्पर्क सूत्र :- 9984725044, 9452816164
Email :- shoorsn@gmail.com

मंगलवार, 13 जून 2017

आचार्य बलवन्त का गीत : बाबा की चौपाल

बाबा की चौपाल



बूढ़ा बरगद देख रहा युग की अंधी चाल।
बरसों से सूनी लगती है बाबा की चौपाल।
पाँवों की एड़ियाँ फट गईं,
बँटवारे में नीम कट गई,
कोई खड़ा है मुँह लटकाए,  कोई फुलाए गाल।
बरसों से सूनी  लगती है बाबा की चौपाल।
बाँट दी गई माँ की लोरी,
मुन्ने की बँट गई कटोरी,
भेंट चढ़ गया बँटवारे की पूजावाला थाल।
बरसों से सूनी लगती है बाबा की चौपाल।   
आँगन से रूठा उजियारा,
खामोशी ने पाँव पसारा, 
चहल-पहल अब नहीं रही,सूखी सपनों की डाल।
बरसों से सूनी लगती है बाबा की चौपाल।

-आचार्य बलवन्त
विभागाध्यक्ष हिंदी
कमला कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट स्टडीस
450, ओ.टी.सी.रोड, कॉटनपेट, बेंगलूर-560053 (कर्नाटक) 
मो. 91-9844558064 , 7337810240   
Email- balwant.acharya@gmail.com