गुरुवार, 3 मार्च 2016

विनोद ध्रब्याल राही की कविता : आया रे ऋतुराज

आया रे ऋतुराज


आया रे ऋतुराज आया
शीत हटा, धूप सुहावनी लाया,

शाखाओं पर नवदल छाए
पुष्पों ने खूब रंग बिखराए,

अंबियन पर बौर पड़ा
बसंत आ द्वार खड़ा,

मंद सुगंध, शीतल वायु लाया
बसंत पंचमी, होली त्योहार आया,

पशु-पक्षी, सब प्राणी नवरक्त भरे
हुए सब खेत पीले-हरे,

बिखरी छटा मन भावन चहुँ ओर
नाच उठे वन-उपवन में मोर,

कोकिल गान तन-मन आग लगाए
भ्रमर गुंजन निर्मोही की याद दिलाए,

वीर हकीकत की याद लाया
पतंगों से नभ सारा छाया,

तरूण- तरुणियाँ सब नाची
इश्कमिजाज़ी की धूम मची,

आया रे, ऋतुराज आया
शीत हटा, धूप सुहावनी लाया|

-विनोद ध्रब्याल राही
बाघनी, नूरपुर (काँगड़ा) हि.प्र. 
सम्पर्क सूत्र : 09625966500

बुधवार, 2 मार्च 2016

गोपाल शर्मा की बाल कविता : नन्हे-फूल

बगिया के ये नन्हे फूल


बगिया के ये नन्हे-फूल,
चुभ न जायें इनको शूल।
सदा रहें ये हंसते-गाते,
खाते-पीते मौज उड़ते।
यह जीवन का है प्रभात,
छेड़़ो एकता की कोई बात।
छूए न कपट की काली रात,
क्रोध लगाये न छुप कर घात।
आशाओं के दीप हैं प्यारे,
वर्तमान की आँख के तारे।
सुन्दर तन और सुन्दर मन है,
उत्तम इन्हें प्रेम का धन है।
इनके बोलों में है मिठास,
झूठ नहीं है इनके पास।
भेदभाव को जान न पायें,
ऐसा इनको पाठ पढ़ायें।
नफरत की कहीं पड़े न धूल,
बगिया के ये नन्हे-फूल।

-गोपाल शर्मा,
जय मार्कीट ,
कांगड़ा,हि.प्र.।