आया रे ऋतुराज
आया रे ऋतुराज आया
शीत हटा, धूप सुहावनी लाया,
शाखाओं पर नवदल छाए
पुष्पों ने खूब रंग बिखराए,
अंबियन पर बौर पड़ा
बसंत आ द्वार खड़ा,
मंद सुगंध, शीतल वायु लाया
बसंत पंचमी, होली त्योहार आया,
पशु-पक्षी, सब प्राणी नवरक्त भरे
हुए सब खेत पीले-हरे,
बिखरी छटा मन भावन चहुँ ओर
नाच उठे वन-उपवन में मोर,
कोकिल गान तन-मन आग लगाए
भ्रमर गुंजन निर्मोही की याद दिलाए,
वीर हकीकत की याद लाया
पतंगों से नभ सारा छाया,
तरूण- तरुणियाँ सब नाची
इश्कमिजाज़ी की धूम मची,
आया रे, ऋतुराज आया
शीत हटा, धूप सुहावनी लाया|
-विनोद ध्रब्याल राही
बाघनी, नूरपुर (काँगड़ा) हि.प्र.
सम्पर्क सूत्र : 09625966500
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