सोमवार, 16 मई 2016

डॉ. राकेश जोशी की ग़ज़ल : सारे लोग


सारे लोग 



बादल गरजे तो डरते हैं नए-पुराने सारे लोग
गाँव छोड़कर चले गए हैं कहाँ न जाने सारे लोग

खेत हमारे नहीं बिकेंगे औने-पौने दामों में
मिलकर आए हैं पेड़ों को यही बताने सारे लोग

मैंने जब-जब कहा वफ़ा और प्यार है धरती पर अब भी
नाम तुम्हारा लेकर आए मुझे चिढ़ाने सारे लोग

गाँव में इक दिन एक अँधेरा डरा रहा था जब सबको
खूब उजाला लेकर पहुँचे उसे भगाने सारे लोग

भूखे बच्चे, भीख माँगते कचरा बीन रहे लेकिन
नहीं निकलते इनका बचपन कभी बचाने सारे लोग

धरती पर खुद आग लगाकर भाग रहे जंगल-जंगल
ढूँढ रहे हैं मंगल पर अब नए ठिकाने सारे लोग

इनको भीड़ बने रहने की आदत है, ये याद रखो
अब आंदोलन में आए हैं समय बिताने सारे लोग

चिड़ियों के पंखों पर लिखकर आज कोई चिट्ठी भेजो
ऊब गए है वही पुराने सुनकर गाने सारे लोग


-डॉ. राकेश जोशी
असिस्टेंट प्रोफेसर (अंग्रेजी)
राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय,
डोईवाला देहरादून, उत्तराखंड
फ़ोन: 08938010850
ईमेल: joshirpg@gmail.com

3 टिप्‍पणियां:

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  3. साहित्य सत्कार
    हिन्दी साहित्य को समर्पित इन्टरनेट पत्रिका

    सोमवार, 16 मई 2016
    डॉ. राकेश जोशी की ग़ज़ल : सारे लोग

    सारे लोग




    बादल गरजे तो डरते हैं नए-पुराने सारे लोग
    गाँव छोड़कर चले गए हैं कहाँ न जाने सारे लोग

    खेत हमारे नहीं बिकेंगे औने-पौने दामों में
    मिलकर आए हैं पेड़ों को यही बताने सारे लोग

    मैंने जब-जब कहा वफ़ा और प्यार है धरती पर अब भी
    नाम तुम्हारा लेकर आए मुझे चिढ़ाने सारे लोग

    गाँव में इक दिन एक अँधेरा डरा रहा था जब सबको
    खूब उजाला लेकर पहुँचे उसे भगाने सारे लोग

    भूखे बच्चे, भीख माँगते कचरा बीन रहे लेकिन
    नहीं निकलते इनका बचपन कभी बचाने सारे लोग

    धरती पर खुद आग लगाकर भाग रहे जंगल-जंगल
    ढूँढ रहे हैं मंगल पर अब नए ठिकाने सारे लोग

    इनको भीड़ बने रहने की आदत है, ये याद रखो
    अब आंदोलन में आए हैं समय बिताने सारे लोग

    चिड़ियों के पंखों पर लिखकर आज कोई चिट्ठी भेजो
    ऊब गए है वही पुराने सुनकर गाने सारे लोग


    -डॉ. राकेश जोशी
    असिस्टेंट प्रोफेसर (अंग्रेजी)
    राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय,
    डोईवाला देहरादून, उत्तराखंड
    फ़ोन: 08938010850
    ईमेल: joshirpg@gmail.com
    जितेन्द्र कुमार जौली पर 10:01 pm
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    2 टिप्‍पणियां:

    Unknown18 मई 2016 को 12:04 am
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    Savita Tewari18 मई 2016 को 12:08 am
    हिन्दी गजल को नया आयाम देती इस गजल को पढ़ना एक सुखद अनुभूति है।


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