पवन शर्मा "नीरज`` के मुक्तक
तेरी चाहत ने जाने जाँ बनाया मुझको दीवाना
बिना तेरे लगे इक पल मेरा मुश्किल है जी पाना
तेरी बस जूस्तजूँ मे जाने जाँ कुछ हाल है ऐसा
शमाँ बन तू जहाँ जलती मै बन आता हूँ परवाना।।
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सफर मे साथ भी होते अगर तुम हमसफर होते
राहे काँटे भी सह लेते अगर तुम हमडगर होते
शमाँ रोशन भी कर देते जलाकर खुद को हम सनम
अगर राहे मौहब्बत मे बेवफा तुम नही होते।।
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अगर तेरे इरादो से सनम वाकिफ जो हम होते
तो इन तीरे निगाहो से कभी घायल नही होते
बचा लेते अगर खुद को हवा-ए-इश्क से सनम
तो उठ उठ के यूँ रातो मे अक्सर हम नही रोते।।
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कही बिजली चमकती है कही बादलगरजता है
कही सूखी जमीं बंजर कही सावन बरसता है
नही आता किसी को रास मौहब्बत का अफसाना
न जाने फिर भी क्यों इंसा मौहब्बत को तरसता है।।
- पवन शर्मा "नीरज"
चौक मौहल्ला कामाँ
भरतपुर राजस्थान :321022
मो0 : 8742093262
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