मिल के बिछड़न प्यार का दस्तूर हो गया
वो था करीब कितना मगर दूर हो गया
मिल के बिछड़न प्यार का दस्तूर हो गया।
अश्को से सींच कर लगाया प्यार शिजर
चली मुफलिसी की आँधी चकनाचूर हो गया।
हम करके वफा पे वफा गुमनाम ही रहे
वो करके बेवफाई भी मशहूर हो गया।
तारिफ मे जो पढ दिये दो चार कसीदे
ना चीज को भी हुस्न पे गुरूर हो गया ।
वो खुद के लिए देख मेरे इश्क का जूनून
बन्दा था सीधा साधा मगरूर हो गया।
कुछ पल के लिए यारो मै दूर क्या गया
माथे पे उसके गैर का सिन्दूर हो गया।
वैध हकीमो पे भी "नीरज" नही इलाज
वो जख्मे जुदाई यूँ नासूर हो गया ।
- पवन शर्मा"नीरज"
चौक मौहल्ला कामाँ
भरतपुर राजस्थान
पिन : 321022
मो0 :8742093262
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