मंगलवार, 9 अगस्त 2016

नरेन्द्र मिश्रा की कविता : जब वक्त करवट लेता ह

जब वक्त करवट लेता है


सब कुछ बदल देता है..
     जब वक्त करवट लेता है..

वो शान, वो शौकत
वो कंगुरें... मीनारें ..
वो बाग, बगीचे
खुबसूरत नज़ारे
पल में मसल देता है
जब वक्त करवट लेता है...
     सब कुछ बदल देता है
          जब वक्त करवट लेता है...

कई शाह यूं झड़ गए
पुराने फूलों की तरह,
कई राज गुजर गए
जाते जुलूसों की तरह,
एक नया सबक देता है
जब वक्त करवट लेता है..
     सब कुछ बदल देता है
           जब वक्त करवट लेता है...

रुका है, जो कारवां
कल आगे बढेगा,
आ कर कोई और
तारीखें गढ़ेगा ,
आज को कल देता है
जब वक्त करवट लेता है...
     सब कुछ बदल देता है
           जब वक्त करवट लेता है...

ना रहूंगा मै यहां
ना वो, जो साथ है ,,
टिका रहे हमेशा
ये किसकी औकात है,,
हर कोई चल देता है
जब वक्त करवट लेता है...
     सब कुछ बदल देता है
          जब वक्त करवट लेता है...


- नरेन्द्र मिश्रा
पता: गांधी चौक, राजातालाब,
रायपुर, छत्तीसगढ़
पिन: 492001
फोन :9301831287

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