गुरुवार, 28 जनवरी 2016

शिव अवतार 'सरस' की बाल कविता : जाड़ा

जाड़ा

जाड़ा जाड़ा जाड़ा जाड़ा
छः रितुओं मे सबसे गाढ़ा।

किट किट करते दाँत हमारे
लगता हम रट रहे पहाड़े
दिन छोटा पर रात बड़ी है
निर्धन की हालत बिगड़ी है
सन सन सन पवन चीरती दिल को
इस सर्दी ने किया कबाडा ।

खेल न पाते बाहर जाकर
सूरज भी चलता झुक झुक कर
धूप चॉदनी जैसी शीतल
हम बच्चों का हाल बिगाड़ा।

घर घर हरी भरी तरकारी
खिचडी पापड की तैयारी
गुड तिल तेल तली भुजिया संग
शकरकंद आलू सिंघाड़ा

चिप्स पकौड़ी गजक रेबड़ी
मूंगफली नमकीन कुरकुरी
मिली मौज मस्ती खाने की
इस सर्दी में किया जुगाड़ा।

-शिव अवतार 'सरस'
मालती नगर, डिप्टी गंज, मुरादाबाद (उ.प्र)
सम्पर्क सूत्र : : 9456032671, 9411970552

शनिवार, 23 जनवरी 2016

शकुंतला प्रकाश गुप्ता साहित्य विभूति सम्मान समारोह

शकुंतला प्रकाश गुप्ता साहित्य विभूति सम्मान समारोह


दिनांक 19 जनवरी 2016 को मानसरोवर कन्या इंटर कालेज, मुरादाबाद में मानसरोवर एजुकेशन फाउंडेशन द्वारा साहित्य और कला विभूति सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह का आयोजन फाउंडेशन की संस्थापिका व शिक्षाविद् स्व. शकुंतला प्रकाश गुप्ता की पुण्य स्मृति पर किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ बतौर अतिथि मौजूदा पुलिस उप महानिरीक्षक श्री ओंकार सिंह, वन संरक्षक कमलेश कुमार, संयुक्त शिक्षा निदेशकयोगेंद्र नाथ सिंह एवं विद्यालय प्रबंधक श्री ओमप्रकाश गुप्ता ने दीप प्रज्जवलन के साथ किया। तदुपरांत संगीतकार शिल्पी सक्सेना एवं राकेश कुमार ने सरस्वती वंदना एवं भजन प्रस्तुत कर शमा बांध दिया।



 श्री ओंकार सिंह, श्री कमलेश कुमार, श्री योगेंद्र नाथ सिंह एवं श्री ओमप्रकाश गुप्ता के कर-कमलों से संगीत के क्षेत्र में भातखंडे संगीत संस्थान, लखनऊ (उ.प्र.) से डॉ ऊषा बनर्जी, एमआईटी शिक्षण संस्थान, मुरादाबाद के संस्थापक शिक्षाविद् श्री आदर्श अग्रवाल,समाज सेवी श्री लक्ष्मण प्रसाद खन्ना, वेब पत्रिका पूर्वाभास के संपादक, साहित्यकार डॉ अवनीश सिंह चौहान एवं समाजसेवी श्री विचित्र शर्मा को 'शकुंतला प्रकाश गुप्ता साहित्य एवं कला विभूति सम्मान' से सम्मानित किया गया। साथ ही चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लेने वाले विद्यालय के छात्र-छात्राएं को प्रशस्तिपत्र प्रदान किये गए। ये सम्मान पुलिस उप महानिरीक्षक श्री ओंकार सिंह, वन संरक्षक कमलेश कुमार, संयुक्तशिक्षा निदेशक योगेंद्र नाथ सिंह एवं विद्यालय प्रबंधक श्री ओमप्रकाश गुप्ता के कर कमलों से प्रदान किया गया। इस अवसर पर साहित्यकारों व कलाकारों ने अपनी कला व काव्य पाठ की प्रस्तुतियाँ दीं।



अपने उद्बोधन में सम्मानित व्यक्तित्वों को बधाई देते हुए पुलिस उप महानिरीक्षक श्री ओंकार सिंह ने कहा कि स्व शकुंतला प्रकाश गुप्ता की स्मृति में किया गया यह आयोजन अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे साहित्य, कला एवं संगीत के क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को प्रोत्साहन मिलेगा। समाजसेवी लक्ष्मण प्रसाद खन्ना ने स्व शकुंतला प्रकाश गुप्ता की स्मृतियों को नमन करते हुए उनके जीवन से जुडी कुछ घटनाओं को जिक्र किया और सभी अतिथियों/आगंतुकों को कार्यक्रम में पधारने के लिए आभार व्यक्त किया। शब्दों के जादूगर बाबा संजीव आकांक्षी ने कहा कि यह विद्यालय परिवार एक लम्बे अरसे से इस महानगर में बेहतरीन कार्य कर रहा है, जिसकी जितनी प्रसंशा की जाय कम है। बड़े भाई जुगनू जादूगर जी ने कहा कि मेरी माताजी स्व शकुंतला प्रकाश गुप्ता जी मेरी प्रेरणाश्रोत रहीं हैं। इस कार्यक्रम के बहाने हम उन्हें याद तो करते ही हैं, उनके कृतित्व से छात्र छात्राओं को प्रेरणा भी मिलती है।

इस मौके पर विशिष्ट अतिथि वन संरक्षक श्री कमलेश कुमार, जेडी श्री योगेन्द्र नाथ सिंह, नागरिक सुरक्षा के सहायक उपनियंत्रक श्री ऋषि कुमार, आचार्य राजेश शर्मा, डॉ जगदीप कुमार, सुश्री रीता सिंह, श्री परवेन्द्र सिंह, श्री पंकज गुप्ता, श्री संतराम दास, डॉ दीपक राज गर्ग, श्री संजीव ठाकुर, डॉ हिमांशु यादव, डॉ बीएन के जौहरी, श्री अशोक अग्रवाल, श्री पंकज कुमार गुप्ता, श्री विनय कुमार गुप्ता, श्री राजीव विश्नोई, श्री उदय 'अस्त', डॉ. पूनम बंसल, श्री रामदत्त द्विवेदी, श्री रामेश्वर वशिष्ठ, श्री जितेंद्र कुमार जौली, श्री धवल दीक्षित, श्री डी डी गुप्ता, श्री अनुज गुप्ता एडवोकेट, श्री परविन्द्र सिंह, श्री ललित शेखावत, सुश्री सुनीता सिंघल एडवोकेट, श्री वी राज, श्री शोभित गुप्ता, श्री हर्षित गुप्ता, विद्यालय के छात्र-छात्राएं एवं स्टॉफ सहित अनेकों गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संयोजन समाजसेवी श्री ओमप्रकाश गुप्ता और बेहतरीन संचालन डॉ अम्बरीश गर्ग ने किया।

गुरुवार, 21 जनवरी 2016

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नरेन्द्र मिश्रा का गीत : मुस्कुराना सीख लें

मुस्कुराना सीख लें


चलो आओ फिर
मुस्कुराना सीख लें...

छोटी है ज़िंदगी 
बड़ी है चाहतें, 
ख्वाब है बहुत 
कम है राहतें,
उन सपनों को अपना 
बनाना सीख लें... 
चलो आओ फिर
मुस्कुराना सीख लें...

हर कदम पर 
टोकती मुश्किलें, 
कदम कदम को 
रोकती मुश्किलें,
उन मुश्किलों के पार
जाना सीख लें...
चलो आओ फिर
मुस्कुराना सीख लें... 

ना तब था, 
ना अब है, 
यहां कौन अपना
कब है ?
इन अंजानों को अपना 
बनाना सीख लें...
चलो आओ फिर 
मुस्कुराना सीख लें...

रह गए अकेले
यूं बीच रास्ते,
ना रुका कोई
हमराह के वास्ते
एक एक ही सही,
कदम बढाना सीख लें...
चलो आओ फिर
मुस्कुराना सीख लें...

नरेन्द्र मिश्रा
रायपुर
सम्पर्क सूत्र : 93018 31287‬

युवा रचनाकार  पंकज कुमार "दक्ष की कविता : प्रताप

प्रताप


न वो रहे न उनकी बाते
रह गये किस्से उनके वीरता की सौगाते

जिस्म था लोहे सा बना
वाणी मे हुंकार
कभी न डरा दुश्मनो से
करता रहा वार पे वार

राणा के प्रताप से
दुश्मन था भागा
वह वीर योद्धा 
माता का था रखवाला

प्राण चले जाये मगर
देश न जाने देता था
भारत का वो रखवाला
महाराणा प्रताप कहलाता था

दुश्मन थर -थर काप गये
उसकी तलवारो की धार से।
जीवन के कठिन समय मे 
कभी नही भय भीत हुआ
वह और कोई नही
महाराणा प्रताप था।
          
      पंकज कुमार "दक्ष"
      कौशाम्बी, उत्तर प्रदेश
     सम्पर्क सूत्र :  08115759834
                

बुधवार, 20 जनवरी 2016

विजय कुमार पुरी का गीत : हरे भरे पेड़ों से सजता सुंदर ये परिवेश है

हरे भरे पेड़ों से सजता सुंदर ये परिवेश है



प्यारी अपनी धरती है और प्यारा अपना देश है।
हरे भरे पेड़ों से सजता सुंदर ये परिवेश है।।

                       
कुछ लोग यहाँ पर ऐसे हैं, जो धरती को गन्दा करते हैं,
उनकी करनी धरनी से भई, वन्य जीव सब मरते हैं,
उनकी रक्षा करना ही सब धर्मों का सन्देश है।
हरे भरे पेड़ों से सजता सुंदर ये परिवेश है।।

                      
गिद्ध और कौए हमसे कहते, हम धरा की शान हैं,
प्रदूषण को कम हैं करते, न इससे तुम अनजान हैं,
मत ऐसा व्यवहार करो कि लगे हमें परदेस है।
हरे भरे पेड़ों से सजता सुंदर ये परिवेश है।।

                    
यहाँ देख के कूड़ा कचरा, अपना जी भर आया है,
बहुत कोशिशें कर लीं लेकिन, सब कुछ न हो पाया है,
कुछ तो अच्छा करना सीखो, नवयुग में प्रवेश है।
हरे भरे पेड़ों से सजता सुंदर ये परिवेश है।।

                    
सब झूम झूम कर गाएंगे, हम पर्यावरण बचाएंगे,
धरती के श्रृंगार के लिए हम पेड़ और पौधे लगाएंगे।
जन जन में है जाग उठा ये नया नया उन्मेष है।
हरे भरे पेड़ों से सजता सुंदर ये परिवेश है।।

                    
वृक्ष धरा के भूषण हैं और इनसे जीवन मिलता है,
सुंदर निर्मल स्वच्छ धरा पर सब का ही मन खिलता है,
रंग रंगीले फूलों से अब बदला धरा ने भेष है।
हरे भरे पेड़ों से सजता सुंदर ये परिवेश है।।


विजय कुमार पुरी 
पालमपुर, जिला कांगड़ा,
हिमाचल प्रदेश
सम्पर्क सूत्र : 09816181836,
 09459346550

बुधवार, 13 जनवरी 2016

साहित्य सत्कार इन्टरनेट पत्रिका में आपका हार्दिक स्वागत है

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