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गुरुवार, 21 जनवरी 2016
ग़ज़ल
सुरेश भारद्वाज निराश की ग़ज़ल : झोंपड़े का दर्द
पवन शर्मा "नीरज" की गज़ल : मिल के बिछड़न प्यार का दस्तूर हो गया
डॉ. राकेश जोशी की ग़ज़ल : सारे लोग
पंकज कुमार 'नुसरत' की ग़ज़ल : जान गवांकर बैठ गयी
नवीन हलदूणवी की ग़ज़लः अपने संगी हुए पराए
सुरेश भारद्वाज 'निराश' की ग़ज़ल : नज़र उठाकर देख कुछ तो है
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