गुरुवार, 28 जनवरी 2016

शिव अवतार 'सरस' की बाल कविता : जाड़ा

जाड़ा

जाड़ा जाड़ा जाड़ा जाड़ा
छः रितुओं मे सबसे गाढ़ा।

किट किट करते दाँत हमारे
लगता हम रट रहे पहाड़े
दिन छोटा पर रात बड़ी है
निर्धन की हालत बिगड़ी है
सन सन सन पवन चीरती दिल को
इस सर्दी ने किया कबाडा ।

खेल न पाते बाहर जाकर
सूरज भी चलता झुक झुक कर
धूप चॉदनी जैसी शीतल
हम बच्चों का हाल बिगाड़ा।

घर घर हरी भरी तरकारी
खिचडी पापड की तैयारी
गुड तिल तेल तली भुजिया संग
शकरकंद आलू सिंघाड़ा

चिप्स पकौड़ी गजक रेबड़ी
मूंगफली नमकीन कुरकुरी
मिली मौज मस्ती खाने की
इस सर्दी में किया जुगाड़ा।

-शिव अवतार 'सरस'
मालती नगर, डिप्टी गंज, मुरादाबाद (उ.प्र)
सम्पर्क सूत्र : : 9456032671, 9411970552

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