गुरुवार, 21 जनवरी 2016

युवा रचनाकार  पंकज कुमार "दक्ष की कविता : प्रताप

प्रताप


न वो रहे न उनकी बाते
रह गये किस्से उनके वीरता की सौगाते

जिस्म था लोहे सा बना
वाणी मे हुंकार
कभी न डरा दुश्मनो से
करता रहा वार पे वार

राणा के प्रताप से
दुश्मन था भागा
वह वीर योद्धा 
माता का था रखवाला

प्राण चले जाये मगर
देश न जाने देता था
भारत का वो रखवाला
महाराणा प्रताप कहलाता था

दुश्मन थर -थर काप गये
उसकी तलवारो की धार से।
जीवन के कठिन समय मे 
कभी नही भय भीत हुआ
वह और कोई नही
महाराणा प्रताप था।
          
      पंकज कुमार "दक्ष"
      कौशाम्बी, उत्तर प्रदेश
     सम्पर्क सूत्र :  08115759834
                

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