हरे भरे पेड़ों से सजता सुंदर ये परिवेश है
प्यारी अपनी धरती है और प्यारा अपना देश है।
हरे भरे पेड़ों से सजता सुंदर ये परिवेश है।।
कुछ लोग यहाँ पर ऐसे हैं, जो धरती को गन्दा करते हैं,
उनकी करनी धरनी से भई, वन्य जीव सब मरते हैं,
उनकी रक्षा करना ही सब धर्मों का सन्देश है।
हरे भरे पेड़ों से सजता सुंदर ये परिवेश है।।
गिद्ध और कौए हमसे कहते, हम धरा की शान हैं,
प्रदूषण को कम हैं करते, न इससे तुम अनजान हैं,
मत ऐसा व्यवहार करो कि लगे हमें परदेस है।
हरे भरे पेड़ों से सजता सुंदर ये परिवेश है।।
यहाँ देख के कूड़ा कचरा, अपना जी भर आया है,
बहुत कोशिशें कर लीं लेकिन, सब कुछ न हो पाया है,
कुछ तो अच्छा करना सीखो, नवयुग में प्रवेश है।
हरे भरे पेड़ों से सजता सुंदर ये परिवेश है।।
सब झूम झूम कर गाएंगे, हम पर्यावरण बचाएंगे,
धरती के श्रृंगार के लिए हम पेड़ और पौधे लगाएंगे।
जन जन में है जाग उठा ये नया नया उन्मेष है।
हरे भरे पेड़ों से सजता सुंदर ये परिवेश है।।
वृक्ष धरा के भूषण हैं और इनसे जीवन मिलता है,
सुंदर निर्मल स्वच्छ धरा पर सब का ही मन खिलता है,
रंग रंगीले फूलों से अब बदला धरा ने भेष है।
हरे भरे पेड़ों से सजता सुंदर ये परिवेश है।।
विजय कुमार पुरी
पालमपुर, जिला कांगड़ा,
हिमाचल प्रदेश
सम्पर्क सूत्र : 09816181836,
09459346550
सुंदर रचना| पुरी जी को बधाईयाँ
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना| पुरी जी को बधाईयाँ
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना पुरी सर...........प्रकाशन हेतु बधाई ........!
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