बगिया के ये नन्हे फूल
बगिया के ये नन्हे-फूल,
चुभ न जायें इनको शूल।
सदा रहें ये हंसते-गाते,
खाते-पीते मौज उड़ते।
यह जीवन का है प्रभात,
छेड़़ो एकता की कोई बात।
छूए न कपट की काली रात,
क्रोध लगाये न छुप कर घात।
आशाओं के दीप हैं प्यारे,
वर्तमान की आँख के तारे।
सुन्दर तन और सुन्दर मन है,
उत्तम इन्हें प्रेम का धन है।
इनके बोलों में है मिठास,
झूठ नहीं है इनके पास।
भेदभाव को जान न पायें,
ऐसा इनको पाठ पढ़ायें।
नफरत की कहीं पड़े न धूल,
बगिया के ये नन्हे-फूल।
-गोपाल शर्मा,
जय मार्कीट ,
कांगड़ा,हि.प्र.।
सुंदर बाल कविता....गोपाल शर्मा जी को प्रकाशन हेतु हार्दिक बधाई...💐💐💐💐
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