सत्यानन्द मिश्र 'शुभम' के मुक्तक
रूप अनूप तेज सूर्य सा चन्द्र से उज्जवल बदन तुम्हारे,
चितवन चकित सुकोमल नैन पुलकित मन हो देख हमारे।
नैन कजरारे कटार से तीखे म्यान के कोर से कोर हैं प्यारे,
चंचल मन बस में कर ले अधरें हैं लाल गुलाब से न्यारे ॥
अल्हड़ मुखड़ा रूप सलोना तन मखमल सा गजब सुहावे,
मस्त अदा श्रृंगार मस्त है मस्त स्वरूप होश बिसरावे।
रूप मनोरम चन्द्र छवि सी सूरत चाँद सा टुकड़ा भावे,
मुख मण्डल है जैसे कुमुदनी देख देख जन अति सुख पावे ॥
केश घटा घनघोर सा उमड़े लटों को जब तुम बिखराती,
दिल का धड़कन बढ़ जाता जब देख हमें तुम मुस्काती।
खिले पुष्प सा खिला है चेहरा उर भीतर जो समा जाती,
अदा दिखाकर प्रेम की ज्वाला अन्तर्मन में जगा जाती ॥
- सत्यानन्द मिश्र "शुभम"
पता :- ग्राम मलमलिया
पोस्ट- बाँक बाज़ार , उतरौला
जिला - बलरामपुर (उ. प्र.)
सम्पर्क सूत्र : 72680 88870
सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंBahoot sunder...
जवाब देंहटाएंKeep it up...