सोमवार, 4 फ़रवरी 2019

सूर्य नारायण सूर का गीत : सब पैसे का खेल है बाबू

सब पैसे का खेल है बाबू


सब पैसे का खेल है बाबू  सब पैसे का खेल ।
पैसे खातिर बन जाती है खड़ी पैसेंजर मेल।।

खूनी कातिल के आगे सिर यहाँ झुकाता शासन ।
जिन्हें चाहिए जेल मे सड़ना उनको मिलता सिंहासन ।
पाकिट मारा पेट के खातिर पर जा पहुँचा जेल ।।

जिसने कभी किसी की इज्जत को न इज्जत समझा।
तुली है दुनिया आज उसी को ठहराने पर अच्छा ।।
इसी के कारण सीधा सादा होता हरदम फेल।।

तिकड़म से ही चम्बल वासी पहुँच गये हैं दिल्ली ।
वहाँ  पहुँच कर देश भक्त की उड़ा रहे हैं खिल्ली ।।
अनपढ़ फाइनल बाच रहा है शिक्षित बेचे तेल।।
-सूर्य नारायण शूर 
इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश 
सम्पर्क सूत्र : 9452816164

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