नवीन हलदूणवी की ग़ज़लः अपने संगी हुए पराए
अपने संगी हुए पराए ,
सच्चे मुद्दे कौन उठाए ?
भावों में हुड़दंग मचा है ,
आग लगी को कौन बुझाए ?
कहां गई चन्द्रोली - भगतें ,
डण्डू फिरता मुंह लटकाए ?
फिल्मीधुन का असर हुआ है ,
लोक-कथाएं कौन सुनाए ?
विद्वानों में खींचा - तानी ,
किसकी गलती कौन सुझाए ?
पैसे पीछे होड़ लगी है ,
कमजोरों को कौन बचाए ?
आज 'नवीन' बचे हैं कितने ,
जिनकी वाणी मन बहलाए ?
-नवीन हलदूणवी
काव्य-कुंज -जसूर-176201,
जिला कांगड़ा , हिमाचल
सम्पर्क सूत्र : 09418846773
ई-मेल : naveensushma1949@gmail.com
आ.नवीन जी की रचना बहुत सुंदर है।
जवाब देंहटाएंकहां गई चन्द्रोली - भगतें ,
जवाब देंहटाएंडण्डू फिरता मुंह लटकाए ?.............वाह क्या बात है नवीन सर .....बहुत खूब ....!
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
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