गुरुवार, 4 फ़रवरी 2016

 नवीन हलदूणवी की ग़ज़लः अपने संगी हुए पराए

 नवीन हलदूणवी की ग़ज़लः अपने संगी हुए पराए


अपने संगी हुए पराए ,
सच्चे मुद्दे कौन उठाए ?

भावों में हुड़दंग मचा है ,
आग लगी को कौन बुझाए ?

कहां गई चन्द्रोली - भगतें ,
डण्डू फिरता मुंह लटकाए ?

फिल्मीधुन का असर हुआ है ,
लोक-कथाएं कौन सुनाए ?

विद्वानों में खींचा - तानी ,
किसकी गलती कौन सुझाए ?

पैसे पीछे होड़ लगी है ,
कमजोरों को कौन बचाए ?

आज 'नवीन' बचे हैं कितने ,
जिनकी वाणी मन बहलाए ?

  -नवीन हलदूणवी
काव्य-कुंज -जसूर-176201,
जिला कांगड़ा , हिमाचल 
सम्पर्क सूत्र : 09418846773
ई-मेल : naveensushma1949@gmail.com

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